मंगलवार, 12 मार्च 2013


चन्द  पल काग़ज व कलम  के साथ ले हम।


चन्द  पल काग़ज व कलम  के साथ ले हम।
किसी को कह न पाए वह लिख ले हम।
गहरा नाता है काग़ज कलम और हमारा।

न समझ पाए हम ,
 न समझ पाए कोई। 
आया जो मन में लिख दिया हमने।
सही गलत की खबर नहीं।
ज़िंदगी चलती रहेगी कलम की तरह।
जैसे कलम रुक जाती है ,
वैसे ही हम भी एक दिन थम जाएँगे।

जब तक  जी रहे है तब तक
काग़ज व कलम से नाता न तोड़ेंगे।
जीवन में आते है कई उतर- चढ़ाव ,
उन्हें ख़ुशी से सह लेंगे हम।

मन  हो जाए हल्का ,
तब तक लिखते रहे हम।
कुछ को हम याद करके लिखे ,
व कुछ हमें याद करे पढ़ कर।

कविता पाटील 


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